एक विचार

God Vishwakarma

विश्वकर्मा छात्रों शिक्षा का उन्माद व सभ्यता हेतुLOGO of ABSVM

 

 

 

विश्वकर्मा महासंगठन की इकाईयों में किसी एक वरिष्ठ उपाध्यक्ष को शिक्षा क्षेत्र में छात्रों की यथासंभव मदद के लिये सदैव तैयार रहने की व्यवस्था की जाए।

समाज में कन्याओं को शिक्षा के अवसर तुलनात्मक दृष्टी में कम प्राप्त होते हैं, यह सदैव ध्यान रहे कि एक शिक्षित महिला अपने परिवार का बेहतर खयाल रख सकती है और एक मजबूत समाज की नींव साबित हो सकती है। इसलिये कन्याओं की शिक्षा पर खास ध्यान देने की आवश्यकता है।

ABSVM की प्रत्येक बैठक में प्रतिमाह कुछ बच्चों को चिन्हित करके जरूरत मंद बच्चों की सहायता की जाए। सहायता केवल आर्थिक न हो, पुरानी पुस्तकों की व्यवस्था, किसी अध्यापक द्वारा मुफ्त प्रशिक्षण (Tuition), अभ्यास के लिए सामान की व्यवस्था आदि अनेक रुप से की जा सकती है।

विश्वकर्मा समाज के सदस्य जो सरकारी दफतरों में कार्यरत है, बैंको में, स्कूलों/कालेजों में, अस्पातालों मे जंहा भी सेवारत हैं, समाज के बच्चो के लिए क्या-क्या किया जा सकता है सुझाव दें और उन्हें क्रियान्वित करने के लिये यथासंभव प्रयास किये जाएं। जो साथी कारखानों में या बड़ी इंडस्ट्रीज़ में लगे हुए हैं ऐसे कम्पनी में बच्चों को दिखाने का आयोजन करें। यदि कोई आसपास Science museum आदि है तो साल में एक बार कुछ बच्चों को दिखाने की व्यवस्था करें।

अध्यापकों या वरिष्ठ  विद्यार्थियों की मदद से छोटे छात्रों की कोई प्रयोगशाला रखी जाए। प्रयोग के लिये सामान बाजार में उपलब्ध होता है जो कि खरीदा जा सकता है व कई बार उपयोग किया जा सकता है। कालेज के बच्चे यह सेवा स्वेच्छा से दे सकते हैं, उन्हें इसकी आवश्यकता समझाने की जरूरत है।

यह सभी निरन्तर प्रयास समाज को शिक्षा के प्रति जागरुक करेंगे, बच्चों में समाज के प्रति योगदान एंव सहयोग का आचरण पैदा होगा। सकारत्मक प्रयास समाज को आर्थिक सहयोग के लिये भी प्रेरित करेंगे और इस प्रकार से उच्च शिक्षा में इच्छुक बच्चों के लिये स्रोत पैदा होंगे।

बुजुर्गों के सहयोग से, उपस्थिति निर्धारित कर समयदान लिया जा सकता है। समाज से ही किताबों को एकत्र कर एक लाइब्रेरी का आयोजन किया जा सकता है। बच्चे साल भर के लिये किताबे प्रयोग कर पुरानी किताब वापस कर अगले साल की किताबें ले सकते हैं। ऐसी कुछ व्यवस्था की जा सकती है।

बुजुर्गों के सहयोग से ही बच्चों के लिये शिक्षा प्रद कहानियां नियमित रूप से सुनाने का कार्य किया जा सकता है। भारत के इतिहास की शौर्य भरी कहानियां या उनपर आधारित फिल्में दिखाई जा सकती हैं। इस प्रकार कम खर्च में एक दूरगामी परिणामों के लिये प्रयास किये जा सकते हैं।

यह सभी कार्य एक व्यवस्थित शिक्षा केन्द्र या कौशल व कला केन्द्र की सम्पूर्ण देश में स्थापना का आधार स्रोत बन सकता है। इसलिये इन पर शीघ्र कार्य करने की आवश्यकता है।

 

आओ हम सब इसे सफल बनाएं।